Cough | Itchy Nose | Runny Nose | Smeezing |
Itching | Rale | Blisters | Edema |
Redness | Lacrimation | Vomiting | Upset Stomach |
छिक आना,नाक से पानी,सिरदर्द,कफ आना इस्नोफिलिया,अस्थमा (सास में कठिनाई)खाना न पचना,साइनस,नाक का मास बढ़ना,निमोनिया आँख से पानी आना,टोंसिल |
खुजली होना ,छोटा–बड़ा दाना चहरे पर,कला–भूरा दाग,जुलपुती होना |
शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति की कमी से जिस पदार्थ या वातावरण के प्रति शरीर सवेंदनशील हो जाए और सहन न कर सके उस पदार्थ या वातावरण के प्रति उत्पन्न असहनशीलता को एलर्जी कहते है !जाहिर है इससे अस्थमा और राइनाटिस जैसी बीमारियों में भी वृद्धि हो रही है|
इसे समझने के लिए इतना जान लीजिय की आपके शरीर की बनावट ही ऐसी होती है ,शरीर में होने वाली बीमारियों से लडती है ,शरीर की रक्षा करती है |ऐसे जैसे देश की सेना अपने दुशमनो को पहचान उनसे देश की रक्षा करती है|मेडिकल की बोलचाल की भाषा में आपके शरीर की रक्षा प्रणाली को इम्यूनसिस्टम काहा जाता है, जब शरीर के लिए नुकसानदायक ,हानिकारक चीजे जैसे –किटाणु (बैक्टीरिया या वायरस )आपके शरीर पर हमला करते है तब इम्यूनसिस्टम दुश्मनों को पहचानने में गलती कर देता है | वो कई बार यु ही ,सामान्य चीजे जैसे धुल ,मिट्टी ,जानवर के बाल ,पेड़ पौधों के परागकण ,यहाँ तक की कुछ खास खाने की चीजो से अपनी प्रतिक्रिया कर बैठता है |ऐसी एलर्जी आपके शरीर के कई हिस्सों जैसे त्वचा ,आँखे औए नाक बहना या बंद नाक या नाक पर खुजली होती है | यही सब एलर्जिक राइनायटिस के लक्षण है|
पेड़ औए घास के परागकण ,घर की धुल-मिट्टी ,जानवर के बाल या रेशो ,धुँआ,धुल पारथेलियन (गाजर घास )के पौधे है ,ए विदेश से बीज के साथ आया और हमारे भारत देश में फ़ैल गया इसके वजह से राइनायटिस एलर्जी और स्कीन एलर्जी हो जाता है |
कैसे पहचाने की एलर्जिक राइनायटिस है या साधारण सर्दी-जुकाम,ये तो हम जान गये एलर्जी राइनायटिस किस वजह से होते है “येलोजेन्स “ जबकि साधारण सर्दी –जुकाम का कारण कीटाणु होते है !इन दोनों की वजह से आपको छिके आती है,आपकी नाक बहती या बंद हो जाती है या नाक में खुजली का एहसास होता है | परन्तु कुछ ऐसे लक्षण होते है इन दोनों में आप अंतर कैसे पता लगाये| ये एलर्जिक राइनायटिस हो सकती है यदि आपके नाक में पैदा मल ज्यादा और बहता रहे | यदि आपको एक साथ कई बार छिके आती है | यदि आपके नाक और गले में खुजली का एहसास होता है ,यदि आपके आँखों से पानी बहता है,यदि इस तरह की समस्या साधारण सर्दी–जुकाम के मुकाबले ज्यादा समय तक रहती है | जिस व्यक्ति को एक बार जोनडिस हो जाता है ,उस व्यक्ति को एलर्जी होने का चांस ज्यादा रहता है | क्योंकि इससे मरीज अनलिमिट ठंडा का सेवन करता है,जिसके कारण उस व्यक्ति को एलर्जी हो जाता है |यह बीमारी ज्यादातर खानदानी होता है अगर किसी माता पिता का है, तो उसके बच्चो को भी होने की संभावना होती है|
तत्काल कुछ दिन पहले बी.एच.यु.के वनस्पति विज्ञान विभाग में शोध के आधार पर पता चला है की पत्थरों व् परती भूमि पर भी अपना आस्तित्व कायम रखने वाले शैवाल यानि काई की घुस –पैठ वायुमंडल में भी है |उसके इस पैठ के चलते एलर्जी जैसी बीमारी का मजबूती मिल रही है| बी एच.यु.के वैज्ञानिको के अनुसन्धान से तो यही बताते है की बारहों महीने हवा के साथ काई के सूक्ष्मकण भी तैरते रहते है | आज की परिवेश में जिस जिस तरफ से ये बीमारी बढती जा रही है उसका रोकना बहुत जरुरी है |
एलर्जिक राइनायटिस जानलेवा नहीं होता पर आपकी अच्छी खासी जिंदगी में रूकावट जरुर पैदा कर सकता है|इससे नींद में बाधा पहुंचती है और स्कूल में पढाई तथा ऑफिस में कामकाज पर बुरा असर पड़ता है|
आप सोचीये जब हर वक्त आप लगातार छिको से परेसान रहेंगे तो आप कैसे बेहतर जिंदगी जी सकते है ,अगर इसका उपचार नहीं किया गया तो एलर्जिक राइनायटिस के कारण उसके साथ अन्य बीमारियाँ भी हो सकती है ! जैसे
कंजकिटवा ,आँखों के सफ़ेद हिस्से के उपरी परत को कहते है ! कंजकिटवा को एलर्जी की कंजकिटवाइटीस कहते है ,एलर्जी की वजह से आँखों में सुजन,आँखे लाल होना,आँखों में खुजली और पानी लगता है|
नाक की अंदर की रचना में सुजन की वजह से उसमे गांठ बन जाती है ,जिन्हें नेजल पौलिप्स कहते है | ये पौलिप्स इतने बड़े हो सकते है की जिनसे नाक बंद हो जाती है ,और सास लेने में तकलीफ हो सकती है|
नाक की हड्डियों के आस पास खली स्थान होते है ,जिन्हें साइनस कहते है | अक्सर नाक बहने से ,साइनस में नाक का मल इकठ्ठा हो जाता है इससे बीमारी के कीटाणु जमा होते है,जिससे इन्फेक्सन हो जाता है | लक्षण –नाक बंद,खुजली,छिक ,दर्द.सास लेने में तकलीफ,गले के पिछले भाग में दर्द,जलन या खराश की शिकायत आदि|
एलर्जिक राइनायटिस के लक्षण जैसे-सुजन,खुजली और पानी आना,लगातार रहने पर ,लम्बे समय में अस्थमा का कारण बन जाता है ! अस्थमा होने पर आप कैसा महसूस करते है ,क्या आपकी खांसी रात में या सुबह तड़के ज्यादा गंभीर होता है
क्या आपने कभी अपनी छाती से एक सिटी जैसी आवाज आते सुने है क्या कभी कभी आपको अपना सीना कसा हुआ लगता है ,क्या आप धुल धुआं पर ,बाल वाले जानवर जैसे-बिल्ली ,कूट,पंक्षी,कुछ खास किस्म की घांस पौधों के संपर्क में आने पर खसना शुरू कर देते है,क्या आप इन सभी चीजो का अन्य किसी चीज के प्रति एलर्जिक है| क्या शारीरिक प्रयास जैसे सीढियाँ चढने या तेज़ चलने से आप को खासी शुरू हो जाती है या सास लेने में दिक्कत होता है ,क्या बहुत ज्यादा हसने या किसी बात पर गुस्सा होने पर आपको खासी शुरू हो जाती है | क्या आपको कभी बाते गया था की आपको “ ब्रानिकटिस” या छाती में किसी तरह का इन्फेक्शन है मगर एंटीवायटिक लेने के बाद भी वह ठीक नहीं हुआ,क्या कभी कभी आपने छाती का एक्स –रे कराय जिस में कुछ भी जाहिर नही हुआ,यानि वह क्लीयर निकला है|
अस्थमा आपके फेफड़ो में हवा लेन –ले जाने वाली हवा नलियों एयर ट्यूब्स ) को प्रभावित करता है,ये हवा नलियाँ सूजकर अति संवेदनशील हो जाती है इन चीजो को अस्थमा-ट्रिगर्स (जिनसे अस्थमा उभरे) कहते है|जब आप किसी अस्थमा ट्रिगर्स के संपर्क में तब हवा –नलियों की दीवारों के आस-पास की मंस्पेसियाँ कास जाती है और हवा नलिया सिकुड़ जाती है,अक्सर हवा–नालियां एक अति चिपचिपा पदार्थ म्यूक्स भी बनती है | ये सब मिलकर हवा-नालियों में हवा का आना जाना मुश्किल बना देते है,नतीजा यह होता है की आप खांसना शुरू कर देते है और आपको सांस लेने में दिक्कत होने लगती है|
इससे मरीजो को जुल्पुती हो जाती है | जुल्पुती लाल उभरा हुआ शरीर के किसी भी भाग में हो जाती है इसमे खुजली जलन और गर्म जैसा महसूस होता है बहुत लोगो को होठ में सुजन या बदन के किसी भी भाग में हो जाता है,बहुत लोगो को छोटा –बड़ा दाना बार–बार होते रहता है,एक ठीक होता है और फिर दूसरा हो जाता है और यह ज्यादातर चेहरे पीठ पर होता है,इसे एलर्जी रिकरेन्ट व्वाइल कहते है ,बहुत लोगो को सिर्फ खुजली होती है,बहुत लोगो को बदन पर रगड़ करते ही लाल हो जाता है|
स्कीन एलर्जी को पहचानना आसन है | मगर इसकी जागरूक नहीं होने के कारण से हम समझ नहीं पाते |इसके मरीज को जुलपुती होना छोटा –बड़ा दाना होना ,चेहरे पर काला भूरा दाग खुजली होना| जुलपुती (Urticaria) भी कई प्रकार के होते है | मेन दो तरह के होते हैAcute Urticaria और Chronic Typer Urticaria लेकिन इसके और भी कई प्रकार है जैसे –Physical Urticaria में कई प्रकार होते है | Physical Urticaria यह हल्का सा प्रेशर करने से ही हो जाता है और 8 से 24 घण्टों तक रहता है | इससे उभर हुआ जलन और सुजन रहता है | Solar Urticaria यह किसी भी प्रकार के रौशनी से हो जाता है | यह कुछ ही मिनट में हो जाता है और कुछ मिनट और घण्टें में खत्म हो जाता है:- Famitial Cold Urticaria यह स्कीन के ठंडे होते ही हो जाते है और कुछ ही घण्टों में हो जाता है | और 48 घण्टें तक रहता है इसमे जलन रहती है– Acquired Cold Urticaria यह भी स्कीन के ठंडे होते ही हो जाता है |लेकिन कुछ ही मिनटों में हो जाता है | और कुछ ही मिनटों में खत्म हो जाता है | मगर इसमे खुजली होती है | -Heat Urticaria यह आसपास की गर्मी से हो जाता है | और कुछ ही मिनटों में हो जाता है और कुछ ही घण्टों में खत्म हो जाता है ,इसमे खुजली भी होती है | Cholinergic Urticaria-यह शरीर के बहुत ज्यादा गर्म होने से हो जाता है और यह चाँद मिनटों में होता है | और 30 से 60 मिनट में खत्म हो जाता है | इसमे भी खुजली होता है|– Acquagenic Urticaria –यह पानी के संपर्क में आते ही हो जाता है |कुछ ही मिनटों में आता है और घण्टें भर में खत्म हो जाता है | Vibratory Angioedema यह किसी भी प्रकार के से हो जाता है | कुछ ही मिनटों में आता है और घण्टों में जाता है|